बिहार के दो लाख 69 हजार शिक्षक रह जाएंगे नियोजन से वंचित, जानिए वजह

पटना, जेएनएन। प्राथमिक शिक्षक नियोजन में एनआइओएस की ओर से डीएलएड करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को झटका लगा है। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) से डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) करने वाले शिक्षकों के नियोजन पर रोक लगा दी गई है।
इससे प्रदेश के करीब दो लाख 69 हजार शिक्षकों को झटका लगा है। ये सभी शिक्षक राज्य के विभिन्न निजी स्कूलों में कार्य कर रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (एनसीईटी) ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन को पत्र भेज कर अधिसूचित कर दिया है। शिक्षा विभाग की ओर से भेजे गए पत्र के आलोक में एनसीईटी के अंडर सेक्रेटरी डॉ. प्रभु कुमार यादव ने कहा है कि एनआइओएस की ओर से डीएलएड-ओडीएल कोर्स का मानक शिक्षक नियोजन की योग्यता को पूरा नहीं कर रहा है।
एनसीईटी की ओर से प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन दो वर्ष के लिए मान्य है। लेकिन एनआइओएस की ओर से इस कोर्स की समय सीमा 18 महीने है। ऐसे में कक्षा एक से पांच व छह से आठवीं तक की नियुक्ति के लिए दो वर्षीय पाठ्यक्रम ही मान्य है।
टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव अमित विक्रम ने बताया कि इस फैसले के खिलाफ संघ सड़क और कोर्ट दोनों जगहों पर लड़ेगा। इसके लिए दस सितंबर को दिन के 11 बजे गांधी मैदान में एक बैठक रखी गई है।
दो लाख 69 हजार प्रशिक्षु होंगे प्रभावित
एनसीईटी के एनआइओएस की डीएलएड डिग्री अमान्य करने से सूबे के करीब दो लाख 69 हजार प्रशिक्षु प्रभावित होंगे। बताया जाता है कि राज्य के विभिन्न निजी शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने एनआइओएस की ओर से आयोजित डीएलएड पाठ्यक्रम में नामांकन लिया था।
इसमें से काफी शिक्षक राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर छठे चरण के होने वाले नियोजन में भाग लेने वाले थे। लेकिन एनसीईटी के इस फैसले से उन्हें झटका लगा है। एनआइओएस के चेयरमैन डॉ. सीबी शर्मा ने कहा कि एनसीईटी का यह फैसला दुखी करने वाला है।

तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री की सहमति से एनसीईटी के अधिकारियों के साथ 18 महीने के डीएलएड कोर्स कराने पर मुहर लगाई गई है। इसके बाद भी कोर्स पर सवाल उठाया जाना निराश करने वाला फैसला है।