बीटीईटी 2011 शिक्षक भर्ती घोटाले में मंगलवार को भी एसआईटी ने बड़ी
गिरफ्तारी की। एसआईटी ने मास्टरमाइंड अमित के सबसे खास शातिर राजेश रंजन को
गिरफ्तार कर लिया। राजेश बोर्ड में बेगूसराय शाखा का प्रभारी था। बहाली के
दौरान उसने तकरीबन 100 शिक्षकों को फर्जी तरीके से बहाल करवाया था। पूछताछ
में उसने अपनी संलिप्तता स्वीकार की है।
अधिकारियों ने बताया कि बेगूसराय
में हुए सभी फर्जी बहालियों का ठेका राजेश ने ही लिया था। एसआईटी अब इसके
दो अन्य साथियों को तलाश रही है। पुलिस खगड़िया प्रभारी माइकल और जमुई
प्रभारी रहमान को तलाश रही है। टॉपर घोटाले के दौरान भी पुलिस राजेश से
पूछताछ की थी। लेकिन साक्ष्य नहीं मिलने के कारण तब उसे छोड़ दिया गया था।
डीएसपी विधि व्यवस्था एमके सुधांशु ने राजेश के गिरफ्तारी की पुष्टि की।
राजेश के कारण ही फर्जी शिक्षकाें को जमानत मिली थी।
बोर्ड कर्मियों को ले गई एसआईटी, जब्त किए कागजात : मंगलवार को एसआईटी
अभिलेखागार प्रभारी जटाशंकर, सहायक प्रोग्रामर अमितेश आईटी शाखा के प्रभारी
अमित और सहायक सुजीत को रिमांड पर लेकर पूछताछ की। चारों कर्मियों को लेकर
एफएसएल की टीम के साथ एसआईटी बोर्ड ऑफिस भी गई। एफएसएल की टीम ने बोर्ड
ऑफिस से हार्ड डिस्क, टीआर रजिस्टर के साथ अन्य फाइल भी जब्त की। एफएसएल
अन्य साक्ष्य भी आईटी सेल और रिकार्ड रूम से जब्त की।
7 साल में नहीं बदला गया कंप्यूटर का पासवर्ड, होता रहा फर्जीवाड़ा
शशि सागर|पटना
शिक्षक भर्ती घोटाले में सबसे बड़ी भूमिका बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
के आईटी सेक्शन के कर्मियों और पदाधिकारियों की रही है। जांच में बोर्ड के
अधिकारियों व पदाधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई है। जिस कंप्यूटर में
बीटीईटी 2011 का रिजल्ट सेव किया हुआ था, उसका पासवर्ड अर्जुन के पास से
अमित, सुजीत और उसके अन्य साथियों के पास गया था। यह पासवर्ड 2011 से 2018
तक बदला नहीं गया। पासवर्ड उन कर्मियों के पास भी है, जो फिलहाल बोर्ड में
कार्यरत नहीं हैं। पासवर्ड एक आलमीरा में रखा होता था। इस बात की जानकारी
बोर्ड के कई कर्मियों को थी।
बोर्ड ने प्रतिवेदन का नहीं दिया जवाब
महीनों जांच के बाद निगरानी ने जिन शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज
कराया, जब उन्हें फटाफट जमानत मिलने लगी तब निगरानी ने दोबारा पड़ताल की।
इसके बाद पूरा खेल सामने आया। निगरानी के एक अधिकारी ने बताया कि मामला
समझने के बाद हमलोगों ने बोर्ड को प्रतिवेदन भेजा, लेकिन सालभर से अधिक समय
होने को हैं अब तक बोर्ड की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है। शिक्षकों की
बहाली कई स्तर पर हुई थी। जिला, पंचायत और प्रखंड स्तर पर इसके नियोजन
पदाधिकारी थे। जांच में यह बात सामने आई है कि हर नियोजन इकाइयों में गड़बड़ी
हुई है। डीईओ और डीपीओ के स्तर पर सबसे अधिक लापरवाही और मिलीभगत की बात
सामने आ रही है।
टेली कॉलरों को मिल गया डेटा, तब भी नहीं चेता बोर्ड
दो साल से यह देखा जा रहा है कि इंटर और मैट्रिक की परीक्षा के
बाद परीक्षार्थियों के पास शातिर कॉलरों के फोन आते थे। कई विद्यार्थियों
से शातिरों ने फेल सब्जेक्ट में पास करा देने और नंबर बढ़वा देने के नाम पर
लाखों की उगाही की थी। मामला इतना तूल पकड़ा कि बोर्ड ने कोतवाली में
एफआईआर तक करवाई थी और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन, अबतक यह
खुलासा नहीं हो सका है कि शातिर कॉलरों के पास छात्रों के नंबर और पते कैसे
गए। लेकिन, इसके बाद भी बोर्ड ने पासवर्ड बदलना जरूरी नहीं समझा।