गया। शिक्षक नहीं, फिर भी बच्चे मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा में
प्रतिवर्ष उत्तीर्ण हो रहे हैं। मानपुर प्रखंड के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
भोरे में छात्र बिना शिक्षक के ही पढ़ रहे हैं।
प्रखंड मुख्यालय से करीब 12 किमी दूर भोरे पंचायत के बच्चों को उच्च
शिक्षा देने के उद्देश्य से मध्य विद्यालय भोरे को 2014 में उत्क्रमित कर
उच्च विद्यालय का दर्जा दिया गया। एक करोड़ सात लाख की लागत से दोमंजिला भवन
भी बनाया गया। नवम वर्ग में 68 छात्र-छात्राओं का नामांकन लिया गया, लेकिन
बच्चों को शिक्षा देने के लिए विद्यालय में एक भी शिक्षक कर नियुक्ति नहीं
हुई। मजबूरन मध्य विद्यालय के शिक्षकों ने किसी तरह छात्र-छात्राओं को
पढ़ाया। यहां के करीब 35 छात्र-छात्राओं ने ट्यूशन की बदौलत पढ़ाई की। यही
स्थिति आज भी है। इस वर्ष भी मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने के
लिए करीब 55 छात्र-छात्राओं का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है।
वार्ड सदस्य विगन चौधरी कहते हैं कि उत्क्रमित उच्च विद्यालय में
शिक्षक नहीं रहने से छात्र-छात्राओं का पठन-पाठन प्रभावित है। यहां के नवम
एवं दशम वर्ग के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए निजी शिक्षण संस्थानों की
शरण लेनी पड़ती है। अगर उत्क्रमित उच्च विद्यालय में शिक्षक की नियुक्ति कर
दी जाए तो इस इलाके के गरीब छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा में सहूलियत
होगी।
मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि इसे चार साल
पहले ही उच्च विद्यालय का दर्जा मिल गया है, लेकिन एक भी शिक्षक की
नियुक्ति नहीं की गई है। मध्य विद्यालय में 12 शिक्षक हैं, जिनमें दो को
कस्तूरबा विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। यहां नामांकित 547
छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने के लिए 10 शिक्षक रहे गए हैं। नवम एवं दशम
वर्ग में भी करीब 125 छात्र-छात्रा हैं। इन बच्चों को गुणवतापूर्ण शिक्षा
देना संभव नहीं हो पा रहा है।