लखीसराय। बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने केंद्र एवं राज्य सरकार पर
राज्य के करीब चार लाख नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालय अध्यक्षों के साथ
सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है।
इस संबंध में बिहार राज्य प्रारंभिक
शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राकेश कुंदन, संयोजक पवन ¨सह एवं विजय ¨सह ने
संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा
बिहार के नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को समान काम-समान वेतन
नहीं देने की साजिश की जा रही है। शिक्षक नेताओं ने कहा कि उच्च न्यायालय
के आदेश के आलोक में हरियाणा एवं मध्य प्रदेश में नियोजित शिक्षकों को समान
काम-समान वेतन दिया जा रहा है। उक्त दोनों ही राज्य में भाजपा की सरकार
है। जबकि पटना उच्च न्यायालय द्वारा नियोजित शिक्षकों को समान काम-समान
वेतन देने के आदेश देने के बावजूद केंद्र एवं बिहार सरकार बहानाबाजी कर रही
है। केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में गलत आर्थिक
आंकड़ा प्रस्तुत किया गया है। शिक्षक नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा
करीब 25 हजार करोड़ रुपये का अपव्यय किया जा रहा है। अपव्यय होने वाली राशि
का सही प्रबंधन कर लिया जाए तो नियोजित शिक्षकों को समान काम-समान वेतन
देने में किसी प्रकार की आर्थिक समस्या उत्पन्न नहीं होगी। शिक्षक नेताओं
ने कहा कि मध्य प्रदेश एवं हरियाणा के नियोजित शिक्षकों को समान काम-समान
वेतन देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। बिहार के
नियोजित शिक्षकों को समान काम-समान वेतन देने के लिए अनुदान देने में
केंद्र सरकार आर्थिक रोना रो रही है। बिहार के नियोजित शिक्षकों को समान
काम-समान वेतन के समर्थन में 31 जुलाई को केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा
सुप्रीम कोर्ट में पक्ष नहीं रखने पर आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार के करीब
चार लाख नियोजित शिक्षक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष राजग के विरुद्ध मतदान
करेंगे।