सहरसा। जिले में अब भी कई दर्जन फर्जी शिक्षक जमे हुए है। फर्जी कागजात
के आधार पर जमे इन शिक्षकों के विरूद्ध निगरानी विभाग जांच कर रही है।
लेकिन जिले के कई प्रखंडों से करीब 500 से अधिक शिक्षकों का फोल्डर अब तक
जमा नहीं हो पाया है। जिले में नियोजित शिक्षकों की संख्या सात है।
फर्जी
प्रमाण पत्रों के आधार पर सैकड़ों शिक्षक बहाल हो गए। इसकी लगातार शिकायत
मिलने के बाद विभाग सजग हुआ। वर्ष 2015 में हाईकोर्ट के आदेश पर जिले में
नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच शुरू हुई । निगरानी विभाग के
देख रेख में इसकी जांच चल रही है। वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2015 तक जिले में
हुए शिक्षक नियोजन को लेकर प्रमाण पत्रों की जांच चल रही है। सभी शिक्षकों
से नियुक्ति संबंधी प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि जमा करवाने का निर्देश दिया।
निगरानी विभाग के निर्देश के बाद भी सैकड़ों शिक्षकों का प्रमाण पत्र जमा
नहीं हो पाया है। सूत्र बताते है कि इन शिक्षकों का प्रमाण पत्र संबंधित
नियोजन इकाई के पास नहीं है। आखिर ऐसे शिक्षकों का नियोजन किस तरीके से
किया गया यह तो जांच के बाद ही इसका खुलासा हो पाएगा।
हाईकोर्ट ने अपने निर्देश में यह भी कहा था निगरानी विभाग शिक्षकों के
प्रमाण पत्रों की जांच करेगी। लेकिन अगर जो शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र के
आधार पर कहीं नौकरी कर रहे है तो वे स्वत: अपना त्याग पत्र दे दें। तो ऐसी
स्थिति में ऐसे शिक्षकों से राशि वसूलने सहित अन्य कार्रवाई नहीं की जाएगी।
लेकिन अगर जो शिक्षक जांच के दौरान फर्जी पकड़ाते है तो वैसे शिक्षकों से
राशि वसूल की जाएगी। जरूरत पड़ी तो मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। हाई कोर्ट
के इसी निर्देश के बाद जिले के अलग-अलग प्रखंडों में 90 शिक्षकों ने त्याग
पत्र दे दिया।
32 पंचायत सचिव के विरूद्ध दर्ज हुई रिपोर्ट
वर्ष 2016 में लगातार सूचना के बाद भी फोल्डर जमा नहीं किए जाने पर
संबंधित पंचायत नियोजन समिति के सचिव पर बीईओ द्वारा प्राथमिकी दर्ज करायी
गयी। जिले के कई थानों में बीईओ ने संबंधित पंचायत सचिव के विरूद्ध मामला
दर्ज कराया गया। निगरानी विभाग के पास करीब 6500 शिक्षकों का फोल्डर जमा हो
गया है। जमा किए गए फोल्डरों में मात्र 2200 फोल्डर में दिए गए विवरणी का
मिलान करने में ही निगरानी विभाग सफल हो पायी है। शेष की जांच चल रही है।
राशि नहीं लौटाई तो होगी प्राथमिकी जिले के पतरघट प्रखंड के मो. उसमान
तालिमी मरकज शिक्षा स्वयंसेवक के रूप में एनपीएस मिल्लतनगर में कार्यरत था।
इसके द्वारा समर्पित मौलवी का अंक पत्र फर्जी पाया गया। जांच के दौरान ही 2
अगस्त 17 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन लोक शिकायत निवारण
पदाधिकारी के निर्देश पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी साक्षरता संजय कुमार ¨सह
ने उक्त शिक्षक को 22 अप्रैल 15 से 31 मार्च 17 तक मानदेय के रूप में ली
गयी राशि 176500 रूपये जमा करने का निर्देश दिया। राशि जमा नहीं किए जाने
पर डीपीओ ने बीईओ पतरघट को आरोपी के विरूद्ध सर्टिफिकेट केश दायर करने का
निर्देश दिया है। कोट फर्जी शिक्षकों के मामले में निगरानी द्वारा जांच की
जा रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
ओमप्रकाश, डीइओ, सहरसा।