पटना/नयी दिल्ली : नियोजित शिक्षकों के ‘समान काम के लिए समान वेतन’ मामले को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायाधीश रोहिंगटन नरीमन, न्यायाधीश एके गोयल और न्यायाधीश नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि नियोजित शिक्षकों का वेतन इतना कम क्यों है?
कोर्ट ने राज्य सरकार से कि वह इन शिक्षकों का वेतन 40 फीसदी बढ़ाये, फिर हम विचार करेंगे. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह के अंदर कंप्रिहेंसिव एक्शन स्कीम से संबंधित हलफनामा पेश करने को कहा है.
बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी, गोपाल सिंह और मनीष कुमार ने कहा कि राज्य सरकार के पास इतने वित्तीय संसाधन नहीं हैं कि नियोजित शिक्षकों को स्थायी शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जा सके. पहले ही राज्य सरकार इन शिक्षकों के वेतन में 20 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव कर चुकी है और इससे अधिक वेतन देना राज्य सरकार के बस में नहीं है. खंडपीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि समान काम के लिए समान वेतन देने का वित्तीय असर काफी अधिक होगा. केंद्र सरकार अन्य राज्यों के परिपेक्ष्य में भी इसे देख रही है, क्योंकि एक राज्य के शिक्षकों के वेतन पर अगर विचार किया जायेगा, तो अन्य राज्योें से भी ऐसी ही मांग उठेगी. केंद्र सरकार ने खंडपीठ को कहा कि इस मामले में बिहार को आर्थिक तौर पर कितनी मदद की जा सकती है, इसकी विस्तृत जानकारी खंडपीठ को दी जायेगी और इसके लिए केंद्र सरकार ने समय की मांग की. केंद्र सरकार शिक्षकों के वेतन को लेकर एक योजना की रिपोर्ट अदालत में सौंपेगी. अदालत ने केंद्र की मांग को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 12 जुलाई को करने का आदेश दिया.
पिछली सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने विशेष परीक्षा पास करने वाले शिक्षकों के वेतन में 20% बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया था, जिस खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और बिहार सरकार को आपस में बैठक कर 27 मार्च तक नियोजित शिक्षकों के वेतन पर विचार करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि जब चपरासी को 36 हजार रुपये वेतन दे रहे हैं तो फिर छात्रों का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों को मात्र 26 हजार ही क्यों?
इसके पहले 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट फैसले पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। कोर्ट ने तब सरकार को यह बताने के लिए कहा था कि नियोजित शिक्षकों को सरकार कितना वेतन दे सकती है? इसके लिए लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी तय कर बताये. गौरतलब है कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 31 अक्तूबर, 2017 के पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए समान काम के लिए समान वेतन देने में असमर्थता जाहिर की है. राज्य में करीब चार लाख नियोजित शिक्षक हैं.
-केंद्र को चार सप्ताह में कंप्रिहेंसिव एक्शन स्कीम से संबंधित हलफनामा पेश करने का निर्देश
-अटॉर्नी जनरल ने कहा, बिहार में नियोजित शिक्षकों का वेतन बढ़ता है तो अन्य राज्यों में भी ऐसी मांग उठेगी
-मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को