हाईकोर्ट की निगरानी हटी तो फर्जी शिक्षकों की खोज थमी

पटना.राज्य में कितने फर्जी शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं? इसकी अपडेट जानकारी शिक्षा विभाग के पास नहीं है। जांच के क्रम में वर्ष 2014 में मामला सामने आया था कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से शिक्षक बहाल हो गए हैं।
जांच का निर्णय लिया गया। सुस्त रफ्तार के बाद हाईकोर्ट में मामला पहुंचा। दलील दी गई कि वर्ष 2006 से नियोजित होने वाले शिक्षकों में से 40 हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में जांच का जिम्मा निगरानी विभाग को सौंप दिया। निगरानी विभाग को जिलों में जांच अधिकारी तैनात करने के निर्देश दिए गए। जांच की प्रक्रिया बढ़ी तो गड़बड़ी सामने आई।
जांच का कार्य व हाईकोर्ट के स्तर पर चल रही सुनवाई के दौरान कार्रवाई ठीक रफ्तार से चल रही थी। फरवरी में कोर्ट के स्तर पर सुनवाई बंद हुई तो राज्य स्तर पर समीक्षा भी नहीं हो सकी। निगरानी की ओर से भी कार्रवाई की जानकारी देनी भी बंद है। शिक्षा विभाग के प्रवक्ता अमित कुमार बताते हैं कि अभी अपडेट रिपोर्ट नहीं मिली है। जिलों से रिपोर्ट मंगाने की कार्रवाई चल रही है।
करीब दो हजार शिक्षक किए गए बर्खास्त
फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त होने वाले करीब दो हजार शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है। जांच की गति धीमी होने के बाद से स्थिति बदली हुई है। एक डीईओ ने बताया कि एक साल से 29 फर्जी शिक्षकों को हटाने का मामला पेंडिंग है। निगरानी विभाग ने रिपोर्ट दी थी। इसे शिक्षा विभाग को भेजा गया। विभागीय स्तर पर जांच में 25 शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया। लेकिन, इस मसले पर कार्रवाई नहीं हो सकी।
जांच आदेश जारी होते 1400 शिक्षकों ने दिया था इस्तीफा
वर्ष 2006 से शिक्षक नियोजन में गलत प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वालों की जांच का आदेश जारी होते ही वर्ष 2015 में 1400 शिक्षकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद करीब 600 अन्य ने इस्तीफा दिया। पंचायती राज संस्थाओं को नियुक्ति का अधिकार दिए जाने के बाद पूरा खेल हुआ। वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने और टेट के आयोजन होने के बाद भी फर्जी प्रमाण पत्र का खेल चला।
पंचायत चुनाव के बाद हुई अधिक परेशानी
पंचायत चुनाव 2016 के बाद जांच में बड़ी परेशानी सामने आई। वर्ष 2011 से वर्ष 2016 तक हुई नियुक्ति से संबंधित मेधा सूची व शिक्षक नियोजन के फोल्डर बड़ी संख्या में गायब पाए गए थे। राज्य में 9,000 से अधिक नियोजन इकाइयां थीं, इसमें से महज 4,800 नियोजन इकाइयों ने ही मेधा सूची व फोल्डर उपलब्ध कराया। 1846 नियोजन इकाइयों पर प्राथमिकी दर्ज की गई ।
गड़बड़ी पर कार्रवाई, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ का क्या
गड़बड़ी कर फर्जी प्रमाण पत्र देकर नियुक्त होने वाले शिक्षकों पर तो कार्रवाई की जा रही है। ऐसे शिक्षकों को सेवा से बाहर कर दिया गया। लेकिन, 2006 से 2015 के बीच नियुक्त हुए फर्जी शिक्षकों द्वारा पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा? उन्हें किस प्रकार की शिक्षा इन शिक्षकों के माध्यम से मिली होगी, इसका सहज अंदाजा लगा सकते हैं। इन फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति करने वालों की पहचान कर पाने में अब तक सरकार सफल नहीं हो सकी है। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ के इन दोषियों को भी सजा दिलाने की व्यवस्था करनी होगी। इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारी भी कुछ बोलने से कतराते हैं।
सभी शिक्षकों के प्रमाण-पत्र की होनी है जांच
नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्र और नियोजन संबंधी मामले की जांच निगरानी विभाग कर रहा है। पूरे राज्य में 3,23,386 नियोजित शिक्षकों में जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास शिक्षकों के प्रमाण पत्र जमा हुए हैं। विभागीय रिपोर्ट के आधार पर 2.78 लाख शिक्षकों के प्रमाण पत्र व नियोजन संबंधी कागजात मिल चुके हैं। शिक्षा विभाग ने निगरानी विभाग को कागजात उपलब्ध करा दिया है।