पटना [जेएनएन]। बिहार के प्रारंभिक
स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली नहीं रहेंगे। सभी पदों पर शिक्षकों की
नियुक्ति की जायेगी। इसके लिए अब हर साल शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का
आयोजन किया जायेगा।
इस मामले पर शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने
अपनी सहमति जता दी है।
2011
में पहली बार टीईटी का आयोजन किया गया था। उसके छह साल बाद इस साल आयोजित
टीईटी में मात्र 37,151 अभ्यर्थी ही पास हो सके हैं, लेकिन पुरानी नियुक्ति
प्रक्रिया के ही 85 हजार पद अभी भी खाली हैं, जबकि नये रूप से पदों का
सृजन किया जाये जो यह दोगुणा हो सकता है। ऐसे में आधे पद भी नहीं भर
पायेंगे।
प्रारंभिक
स्कूलों में 1.21 लाख, हाई स्कूल में करीब 69 हजार और प्लस टू स्कूल के
लिए करीब 20 हजार अभ्यर्थी क्वालिफाई किये थे, लेकिन 2006 से ही शुरू हुई
नियुक्ति प्रक्रिया में प्रारंभिक स्कूलों में 3.23 लाख, हाई स्कूल में 23
हजार और प्लस टू स्कूलों में 12 हजार अभ्यर्थियों की नियुक्ति हो सकी है।
2011
में टीईटी में क्वालिफाई किये अभ्यर्थियों की मान्यता सात सालों के लिए थी
अौर 2018 तक की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए ही वे क्वालीफाई कर सकते हैं।
इधर, हाई व प्लस टू स्कूलों के लिए हुई एसटीईटी 2011 के बाद दोबारा नहीं
हुई है। शिक्षा विभाग ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को प्रस्ताव भेज
दिया है, लेकिन बिहार बोर्ड की ओर से अब तक एसटीईटी का शिड्यूल जारी नहीं
किया गया है।
शिक्षा
विभाग करीब साढ़े 19 हजार माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति सेंट्रेलाइज
तरीके से करने की तैयारी कर रहा है और नियुक्ति की क्या प्रक्रिया होगी
उसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इस साल टीईटी में बहुत कम अभ्यर्थी पास
हुए हैं। इतने अभ्यर्थियों से सभी खाली पदों को भर पाना संभव नहीं है।
लेकिन अब इसे नियमित रूप से जारी रखा जायेगा और हर साल टीईटी का आयोजन किया
जायेगा।