बिहार में जो शिक्षक राजनीति का स्वरुप है वो बिखरा हुआ,गतिहीन और लक्ष्य से भटका हुआ

#शिक्षक राजनिति
राजनीति मेरे लिए कभी आकर्षक नहीं रही,पर इसका मतलब ये कत्तई नहीं की ये गैरज़रूरी या शक्तिहीन अथवा अप्रभावी है,मै इस बात से पूरी तरह सहमत हु की ये किसी भी परिवेश में एक विशाल समुदाय के हितो
की रक्षा के लिए बहुत ही आवश्यक है,परन्तु आपका किसी भी राजनीति के प्रति कैसा दृष्टिकोण है राजनीति वैसा ही फल आप को देती है,मेरा अपना मानना है की जिस दिन भी हम राजनीति को एक अवसर के रूप में न देखकर एक विशाल समुदाय के सम्मिलित उद्देश्यों के हितपूर्ति के रूप में देखना शुरू कर देंगे आप विश्वास करे हम अपने लिए एक नई इबारत लिख रहे होंगे,आज कल बिहार में जो शिक्षक राजनीति का स्वरुप है वो बिखरा हुआ,गतिहीन और लक्ष्य से भटका हुआ है,बेमतलब के झगड़ो ने अपने लोगो के बीच खाई को और चौड़ा करने का कार्य किया है,कई बारी तो इनकी नूरा कुस्ती इंतहाई जंग का रूप ले लेती है पर शुक्र है ये फेसबुक तक ही सिमित होती है ,इस मंच के माध्यम से शिक्षक संघर्षो को एक कर एक मंच के माध्यम से जोर लगाने की रही है ,मै इस विचारधारा का प्रबल समर्थक हु परन्तु कतिपय नेताओ को लगता है की इस से उनकी दुकानदारी चौपट हो जाएगी पर आज नहीं तो कल आप का भांडा फुटेगा और आप को न खुदा मिलेगा न विसाले सनम,सबसे पहले तो सारे शिक्षक समुदाय को इस से बड़ी कोफ़्त होती है जब ये कथित शिक्षक नेता अपना व्यव्हार 'राजनैतिक'नेताओ की तरह करने लगते है तो उनके स्वरुप में वही मक्कारापन और काइयाँपन दिखने लगता है ,अतः आज इस नाचीज़ की दरख़्वास्त को भी अपनी नजर करे मै जानता हु की हम जैसे औने पौने लोगो की राय का आप जैसे लोगो के लिए क्या महत्व है पर फिर भी अपनी सामान्य बुद्धि से जो बन पड़ा वो आप के सामने प्रस्तुत किया बाकि कोई उच्च नीच हुई हो तो क्षमाप्रार्थी हु ,
शिक्षक हित जिंदाबाद ! जिंदाबाद!