लघु कहानी "हैंडसम सैलरी" बी एड करने के बाद मेरे मन में किसी पब्लिक स्कूल में टीचिंग करने का इच्छा

लघु कहानी
"हैंडसम सैलरी"
बी एड करने के बाद मेरे मन में किसी पब्लिक स्कूल में टीचिंग करने का इच्छा हुआ । घर से 32 किमी दूर जिला मुख्यालय पर एक बड़े पब्लिक स्कूल में इंटरव्यू दिया ।
चूंकि मेरा इंग्लिश कम्युनिकेशन अच्छा था इसलिए मेरा सेलेक्शन आसानी से हो गया । लेकिन वेतन बहुत कम था ।बस समझ लिजिए उतने पैसे में 10 दिन तक के लिए मोटरसाइकिल का पेट्रोल का खर्च निकल जाता था ।प्रतिदिन सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक विद्यालय में अपनी सेवा देना पड़ता था ।मगर बातचीत के क्रम में यदि कोई मित्र या रिश्तेदार मेरा पेमेंट पूछ देते थे तो उनके सामने मुझे झेंप जाना पड़ता था ।कुछ सालों बाद एक बार स्कूल से घर को लौटने में देर हो गया ।रात के लगभग ग्यारह बज रहा था।खराब मौसम के कारण तेज बारिश भी होने लगी ।घर के लिए लौटते वक्त रास्ते में एक जगह मेरी बाईक फिसल गयी और मेरे दायें पैर में मोच आ गया ।देखते ही देखते मेरा चोटिल पैर सूज गया ।चलने और बाईक का किक मारने में परेशानी होने लगी ।बारिश ऐसा कि मानो रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी ।किसी तरह से पास सड़क के किनारे एक बड़े से घर का डोर बेल बजाया । गेट खुला ।
-"अरे सर! आप? ? इतनी रात को! !!! प्लीज अंदर आईये ।
यह मेरा विद्यार्थी रजनीश था । जब मैं अपने लंगड़ाते पैर से आगे बढ़ने की कोशिश करने लगा ।तब उसने मुझे सहारा देकर अपने ड्राइंग रूम मे ले गया और सोफे पर बैठाकर बोला, -"सर आज रात आप यहीं रूकिए ।
मैंने मना किया मगर उसकी जिद के आगे मैं खुद नतमस्तक हो गया ।रजनीश तुरंत गर्म पानी लेकर आया और मेरे चोटिल पैर को सूती कपड़े से भीगोकर सेंकने लगा ।उसके बाद उतनी रात को घर के समीप किसी डॉक्टर को जगाकर लाया एवं उनसे बोला,-"ये मेरे सर हैं ।इनके पैर में चोट लगा है ।इलाज कीजिए ।आवश्यक दवा एवं इंजेक्शन देने के बाद डॉक्टर साहब जब घर जाने लगे तो मैं उनके फीस के लिए पैसा देने लगा तो उसने यह कहते हुए मना कर दिया, -"सर !आपकी सेवा करने का अवसर मिला इससे बड़ा मेरे लिए सौभाग्य की बात क्या होगी ।"
फिर कुछ देर बाद उसकी मां मेरे लिए खाना लेकर आयी और बोली,- "रजनीश आपकी बहुत तारीफ करता है ।"
उस दिन मुझे यकीन हुआ कि यही मेरे लिए हैंडसम सैलरी है ।
नीरज मिश्रा
बलिया ।