नियोजित शिक्षक की व्यथा : एक लाचार नियोजित शिक्षक

नियोजित शिक्षक की व्यथा :- शराबबंदी की अपार सफलता के उपलक्ष्य में एवं नशामुक्त बिहार बनाने हेतु सामाजिक जागरूकता लाने के लिए दो करोड़ लोगों की हजारों किलोमीटर लम्बी मानव श्रृंखला बनाने का आदेश बिहार के मुख्यमंत्री महोदय् ने दिया था
और इस दो करोड़ व्यक्ति के लक्ष्य में jdu ,rjd ,बीजेपी,congress ,अन्य पार्टी के कार्यकर्ता ,लाखों जनप्रतिनिधि भी शामिल थे।।।।। मगर जब आज 21 जनवरी को मानव श्रृंखला का निर्माण हुआ तो तीन करोड़ लोग पहुँच गए और इसमें न के बराबर ही किसी पार्टी के राजनेता और कार्यकर्ता जनप्रतिनिधि का योगदान रहा ।।।। मैं इस मानव श्रृंखला के लगभग 20 किलोमीटर लम्बी लाइन को गौर से देखकर अध्ययन किया तो इसमें 95%सरकारी विद्यालय के बच्चे शिक्षक रसोइया ,4%निजी विद्यालय के बच्चे शिक्षक एवं मात्र 1% अन्य लोग नजर आए।।।।।।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी ये दो करोड़ का टारगेट तीन करोड़ में किसके बदौलत बदल गया।।निश्चित रूप से नियोजित शिक्षक के बदौलत।।।मैं जानता हूँ फिर भी आप जैसे बेगैरत नेता शिक्षक को बधाई देने के बजाय अपनी पार्टी की वाहवाही मीडिया में करवाएंगे ,अपना नाम national sight पर लाने के लिए खुद की वाहवाही कराएंगे और शराब बंदी की नौटंकी को राजनितिक एजेंडा बनाएंगे।।।
मुख्यमंत्री जी जब खुले में शौचमुक्त प्रखंड या पंचायत में जाते हैं तो अपने मक्कार नेताओं की पीठ थपथपा के आते हैं जबकि इस अभियान में भी सबसे बड़ा योगदान हम शिक्षकों का होता है।।।।। उनके अभी चल रहे निश्चय यात्रा की तैयारी भी शिक्षक के जिम्मे हैं।।। सर इतना एहसान फरामोश भी मत बनिए और अगर आप नियोजित शिक्षक को उनका हक पूर्ण वेतनमान नहीं दे सकते तो कम से कम बधाई देने में तो आपको पैसा नही लगता ,।।।।।आप जितना चाहें रोड पर नौटंकी लगाकर पैसे को बर्बाद कीजिए सर।।।।
सरकार के हर मंसूबे को अंजाम देनेवाला नियोजित शिक्षक आज हाशिए पर है।अच्छे कपड़े, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छी जीवनशैली उनके लिए कल्पना से पड़े है। जिस बिहार के शिक्षकों ने पूर्व में विदेशियों को भी उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान की है, उसकी कराह सुनकर आपका संवेदनहीन हृदय द्रवित नहीं होता। यही आपके लिए शर्म की बात है। और यही आपको कुशल प्रशासक होने से रोकता है।
मैं जानता हूँ मेरी इन बातों का जरा भी असर आप पर नहीं होगा। और आप अपनी मनमानी करते नजर आयेंगे। धार्मिक अनुष्ठानों पर और मानव श्रृंखला तथा अन्य आयोजनों पर जनता की गाढी कमाई के वारे न्यारे होते रहेंगे , लेकिन आप, हम लाचार नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन देने से कतरायेंगे।
और मजबूरन हम शिक्षकों को एक बार फिर आन्दोलन की राह पकड़नी पड़ेगी।
आपको बताता चलूँ कि जब आपने शराबबंदी पर मानव श्रृंखला बनाने का एलान किया , तभी से मैं इसका समर्थन करता आया, क्योंकि यह एक शिक्षक की मर्यादा थी। सामाजिक जिम्मेदारी थी और आज हमारे नियोजित साथियों ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाकर एक रिकार्ड बिहार के नाम कर दिया है।
आप कब हम नियोजित शिक्षकों के जीवन के जगन्नाथ मिश्र बनेंगे ???
- आपका
मैं
एक लाचार नियोजित शिक्षक