उम्मीदों पर खड़ी नहीं उतर रहीं बुनियादी सुविधाएं

किशनगंज। परिवहन, सेहत, भोजन, शिक्षा, सड़क, बिजली, स्वच्छता व शुद्ध जल जैसी बुनियादी सुविधाएं सदर प्रखंड के ग्राम पंचायत गाछपाड़ा के आधी से अधिक आबादी को नसीब नहीं है। जिला मुख्यालय से सटा इस पंचायत में बिजली तीन महीने पहले पहुंची है। अधिकांश स्कूलों, मदरसों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुशल शिक्षकों का अभाव है। इतना ही नहीं शिक्षक स्कूलों में समय पर नहीं पहुंचते, जिसके चलते संपन्न परिवारों का मोह सरकारी स्कूलों से भंग होता जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार घर -घर में शौचालय, गांव तक सड़क, हर व्यक्ति को शुद्ध पेयजल व प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराने की योजना उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती।

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तीन स्कूलों में नौ शिक्षक बिना अवकाश के थे गायब
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-गुरुवार को साढे नौ बजे से 10 बजे के बीच में प्राथमिक विद्यालय कमारमनी में केवल प्रभारी प्रधानाध्यापक मोतीलाल सिंह ही मौजूद थे। अन्य चार शिक्षक स्कूल नहीं पहुंचे थे। स्कूल में मुश्किल से आठ बच्चे थे। इस स्कूल में छह अगस्त को 311 बच्चों को पोशाक राशि वितरित की गई थी। यूएमएस बेरगच्छी में 12:20 बजे केवल तीन-चार बच्चे मौजूद थे। शिक्षकों में प्रधानाध्यापक सहित दो शिक्षक मौजूद थे। यहां कुल नौ शिक्षकों का नियोजन है। जिसमें दो प्रतिनियोजन पर थे। पांच शिक्षक बिना अनुमति के स्कूल से गायब थे। यहां 376 विद्यार्थियों के बीच में पोशाक राशि बांटी गई है। प्राथमिक विद्यालय बागमोहर में 50 फीसदी बच्चे मौजूद थे। सभी शिक्षक पढ़ा रहे थे। उच्च विद्यालय गाछपाड़ा आदर्श स्थिति में मिला। यहां 688 विद्यार्थियों पर 16 शिक्षकों का नियोजन किया गया है। गुरुवार को वर्ग एक से लेकर 10 तक के क्लाश में 491 बच्चे व 15 अध्यापक मौजूद थे।
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-आजादी के इतने वर्ष बाद भी मुख्य सड़क से गांवों तक सड़क सुविधा नदारद है। बिजली तीन माह पूर्व नसीब हुई। कई गरीबों को दो रुपये किलो गेहूं व तीन रुपये किलो की दर चावल भी नसीब नहीं हुआ। पीडब्ल्यूडी के किनारे रहते हुए भी गांव में आने-जाने के लिए आज भी कच्ची सड़क ही नसीब है। शुद्ध पेयजल केवल एक -दो टोलों में उपलब्ध है। स्वच्छता सेहत के लिए जरूरी है लेकिन, अधिसंख्य आबादी खुले में शौच करने के लिए अभिशप्त दिखती है।
---मशरुर आलम, लोहाडांगा।
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किसी भी बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना है तो 102 या 108 नंबर पर फोन करने के बावजूद एंबुलेंस सेवा की सुविधा नहीं मिल रही है। जिस कारण गरीब को भी निजी वाहन का सहारा लेना पड़ता है। ऐसी स्थिति में मजदूरों व गरीबों के लिए शुरू की गई योजना फ्लाप साबित हो रही है।
--साबीर आलम, लोहाडांगा।
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पूरे गांव में पीएचइडी द्वारा आयरन मुक्त पानी उपलब्ध नहीं कराया गया है। यहां के लोग आयरनयुक्त पानी पीने को विवश है। जिस कारण पेट की बीमारी से कई लोग जूझ रहे हैं। लोगों को अपनी आय का आधा हिस्सा बीमारी के इलाज में ही खर्च करना पड़ता है।
--मो. मूसहा आलम, बोमाबस्ती, गाछ़पाड़ा।
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-गाछपाड़ा पंचायत में बने स्वास्थ उप केंद्र महीने में दो से तीन दिन ही खुलता है। स्वास्थ उप केंद्र में एक टेबलेट भी मरीजों को नसीब नहीं हो पाता है। संपन्न लोग तो प्राइवेट डॉक्टर के पास जाकर अपना उचित इलाज करा लेते है लेकिन गरीब लोगों को पैसे के अभाव में झोला छाप डॉक्टर या प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराने को विवश है।
शाहीद आलम, गाछ़पाडा।-----------------------
गाछपाड़ा ग्राम पंचायत सदर शहरी क्षेत्र से सटा हुआ है। यहां पर एक हाई स्कूल, चार मध्य विद्यालय, छह प्राथमिक विद्यालय, मदरसा तीन है। एक इंजीनिय¨रग कालेज है। गांव के बीच से पीडब्ल्यूडी पथ गुजरा है। कुल 17 गांव हैं। इसमें से केवल चार गांव तक पक्की सड़क है। यदि सभी गांवों तक पक्की सड़क बन जाए तो गाछपाड़ा बुनियादी सुविधाओं से लैस हो जाएगा। अगले पांच वर्ष के अंदर दौ सौ से अधिक आबादी को मुख्यमंत्री संपर्क सड़क से जोड़ दिया जाएगा।
---क्षेत्रीय जिला परिषद सदस्य कमरुल होदा, अध्यक्ष जिला परिषद, किशनगंज।


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