मुजफ्फरपुर। मुख्यमंत्री का रवैया शिक्षा व शिक्षकों के प्रति अच्छा नहीं है। यही कारण है कि वित्तरहित शिक्षकों व कर्मचारियों के परिवार की जिंदगी कष्टमय बनी हुई है। उक्त बातें मुशहरी प्रखंड के हरिनंदन बालिका उच्च विद्यालय, मनिका के प्रांगण में पदयात्रा शुरू होने के दौरान परमानंद पाठक ने कही। शिक्षक दरोगा राय ने कहा कि राज्य सरकार का राजनीतिक दर्शन दरिद्र है। यदि शिक्षकों की जिंदगी डूबेगी तो सरकार का भी डूबना तय है। सवाल किया कि सरकारी खर्चे पर चुनाव प्रचार करना कहां तक उचित है।
अमीरों के बच्चे को शिक्षा की निजी व्यवस्था कहां तक उचित है। निजी विद्यालय का सफलता पूर्वक संचालन शिक्षा का व्यापार नहीं है। जब सरकार को राज्य में 22 सौ उच्च विद्यालय खोलने ही हैं तो पूर्व से खुले 715 विद्यालयों का अधिग्रहण क्यों नहीं कर रही है सरकार। पदयात्रा मनिका से चलकर नरौली, द्वारिका नगर सलहा, दरधा होते हुए पूसा तक गई सौ से अधिक शिक्षक व कर्मचारी शामिल थे।
वित्तरहित कॉलेजों का हो सरकारीकरण
कटरा (मुजफ्फरपुर), संस : सूबे में संचालित वित्तरहित कॉलेजों का सरकारीकरण अविलंब किया जाए, क्योंकि पूरी शिक्षण व्यवस्था इन संस्थानों पर आश्रित है। दशकों से सूबे के सरकारी कॉलेजों से बेहतर रिजल्ट देने वाले इन कॉलेजों का सरकारीकरण नहीं कर सरकार शिक्षा के प्रति अपने रवैये को प्रदर्शित कर रही है। यह कहना है शिक्षक कल्याण मोर्चा का। मोर्चे की विज्ञप्ति में कहा गया कि सरकार ने इस दिशा में पहल नहीं की तो विधानसभा चुनाव में इसके नतीजे भुगतने होंगे। इसके पूर्व पांच वर्षो के रिजल्ट आधारित अनुदान का वितरण कराने की मांग की गई है।
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